मूल शब्दावली
इस बारे में एक निबंध जो संक्षेप में यह दिखाता है कि जिसे हम पागलपन समझते हैं वह समय के अनुसार कैसे बदल गया है। लेखिका निडिया कुआन www.nidiacuan.com.mx
इस बारे में एक निबंध जो संक्षेप में यह दिखाता है कि जिसे हम पागलपन समझते हैं वह समय के अनुसार कैसे बदल गया है। लेखिका निडिया कुआन www.nidiacuan.com.mx
मनुष्य का दिमाग हमेशा रहस्य बना रहा है। अनेक दार्शनिकों, विचारकों, लेखकों और वैज्ञानिकों ने इसके संचालकों को समझने की कोशिश की है। हमारे खुद के दिमाग को समझना, शायद, मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
मानव के दिमाग का एक पहलू पागलपन है, जिस पर विद्वानों का ध्यान गया है।
तथापि, “पागलपन” की संकल्पना न केवल समूचे इतिहास में भिन्न-भिन्न रही है, बल्कि यह अलग-अलग संस्कृतियों में भी अलग-अलग है। समय की हर अवधि के मूल्यों और समझ ने इस अवधारणा को प्रभावित किया है कि किसे “सामान्य” माना जाए और किसे “असामान्य”।
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